बाढ़ के 7 दिन बाद, हाट्याई में रातभर चलने वाली महा-सफाई: 4 दिसंबर को ट्रकों के बेड़े एकजुट, शहर के पुनर्निर्माण के बीच मलबे के पहाड़ साफ

हाट्याई फिर संभल रहा है | 4 दिसंबर 2025 की शाम, सोंगख्ला के हाट्याई ज़िले में माहौल पुनर्निर्माण पर ही केंद्रित रहा। शहर पर पड़ी भीषण बाढ़ की चोट के सात दिन बाद, एक दृश्य सामूहिक प्रयास का सशक्त प्रतीक बनकर उभरा: पूरे शहर में फैली मलबे के पहाड़ हटाने की मुहिम जो रातभर चलती रही।
स्थिति: पानी उतरते ही हर ओर बिखरा मलबा
जब बाढ़ का पानी हाट्याई के कारोबारी इलाकों और बस्तियों से आखिरकार उतर गया, तो शहर एक नई चुनौती से रूबरू हुआ: कचरे और मलबे की भारी मात्रा। ढेरों में तबाह घरेलू सामान, फर्नीचर, कीचड़ और गाद, और घरों व दुकानों से निकले टूटे-फूटे अवशेष शामिल थे।
हाट्याई के कई हिस्सों में मलबे के ढेर सर से ऊपर तक उठे हुए थे और सड़कों में दूर तक फैल गए, जिससे यातायात बाधित हुआ और जनस्वास्थ्य की तात्कालिक चिंता खड़ी हो गई।
शहर को वापस पटरी पर लाने की एकजुट कोशिश
इस दिसंबर की रात, तालमेल ही केंद्र में रहा। कई एजेंसियों के भारी ट्रक—हाट्याई नगरपालिका, सेना, निजी क्षेत्र के साझेदार और पड़ोसी प्रांतों से सहायता दल—सबसे अधिक प्रभावित गलियारों में फैल गए, जहां कचरा सबसे घना था।
- फ्लडलाइट से लैस टिपर ट्रक और लोडर अंधेरे को चीरते रहे—एक ऐसे ऑपरेशन का साक्ष्य जो थमने को तैयार नहीं था।
- मशीनों की घरघराहट घंटों तक गूंजती रही, जितना हो सके उतना मलबा हटाने की समय से दौड़।
- मैदान में तैनात दल थकान और सड़ते कचरे की घुटन भरी दुर्गंध के बावजूद अडिग एकाग्रता के साथ काम करते रहे।
उम्मीद और हौसले का माहौल
थकाने वाले काम के बावजूद समग्र माहौल संकल्प और उम्मीद से भरा रहा। हाट्याई के निवासी टीमों का हौसला बढ़ाने के लिए बाहर आए, और कई लोगों ने अपनी-अपनी दहलीज पर सफाई जारी रखी ताकि मशीनें तेज़ी से और आगे तक बढ़ सकें।
नज़र आती यह एकजुटता इस बात का सबसे स्पष्ट संकेत है कि हाट्याई संकट के बाद फिर खड़ा हो रहा है। मलबे की विशाल मात्रा को देखते हुए सफाई का काम अभी कई दिन चलेगा, पर आज रात का यह तेज़-रफ्तार प्रयास शहर की रिकवरी का अहम पड़ाव है—हाट्याई को फिर से स्वच्छ और सुरक्षित बनाने की ओर एक बड़ा कदम।

